बाढ़ के बाद मच्छरों से होने वाली बीमारियों :- यमुना के नजदीक बसे कई कालोनियों में बाढ़ और नालों का पानी घुस गया है। इस वजह से बाढ़ के बाद दिल्ली में बिमारियां फैलने का भी खतरा है। खास तौर पर जल जनित और मच्छरों के कारण होने वाली बिमारियां फैल सकती है। यही वजह है कि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने अस्पतालों को अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। यमुना में उफान के कारण दिल्ली के करीब 20-25 प्रतिशत इलाके बाढ़ प्रभावित हैं। यमुना के नजदीक बसे कई कालोनियों में बाढ़ और नालों का पानी घुस गया है। इस वजह से बाढ़ के बाद दिल्ली में बिमारियां फैलने का भी खतरा है। खास तौर पर जल जनित और मच्छरों के कारण होने वाली बिमारियां फैल सकती है।
यही वजह है कि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने अस्पतालों को अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया है। डॉक्टर भी कहते हैं कि लोगों को जल जनित और मच्छरों के कारण होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए सतर्क रहना होगा।
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मौलाना आजाद मेडिकल कालेज के कम्यूनिटी मेडिसिन की पूर्व निदेशक प्रोफेसर डा. सुनीला गर्ग ने बताया कि बाढ़ के कारण पेयजल दूषित होने की आशंका रहती है। इसके अलावा साफ सफाई और गंदगी की समस्या होती है। इस वजह से कालरा की बीमारी फैलने का खतरा रहता है। यह बीमारी फैलने पर कई लोग इसकी चपेट में आ सकते हैं।
इसके अलावा दूषित पानी के कारण पेट से संबंधित बीमारियां व पीलिया (हेपिटाइटिस-ए) होने का खतरा रहेगा। टायफाइड भी हो सकता है। इसके अलावा जगह-जगह हुए जल भराव के कारण डेंगू, चिकनगुनिया के मच्छर पनप सकते हैं। इस वजह से डेंगू व चिकनगुनिया का संक्रमण बढ़ सकता है। साथ ही मलेरिया की बीमारी फैलने का खतरा है।
इसलिए इन बीमारियों की रोकथाम के लिए भी संबंधित एजेंसियों को आवश्यक कदम उठाना चाहिए। लोगों को खुद भी सतर्क रहना होगा। डेंगू व चिकनगुनिया से बचाव के लिए जरूरी है कि जब बाढ़ का पानी निकल जाए तो घर के आसपास पानी जमा न होने दें।
घर के पास सड़क किनारे गड्ढों में यदि कहीं जमा हो तो उसमें कोई भी तेल डाल सकते हैं। तेल पानी की सतह पर ऊपर आ जाता है। इससे आक्सीजन नहीं मिलने से मच्छर नहीं पनप पाते।
इसके अलावा इन दिनों पानी को पीने से पहले उबाल लेना चाहिए। इसे ठंडा होने के बाद पीना चाहिए। इससे पेट से संबंधित बीमारियों से बचा जा सकता है। बाढ़ के बाद प्रभावित इलाकों में रहने वाले लोगों के घरों में सीलन की समस्या हो सकती है। इससे वायरल बुखार और अस्थमा के मरीजों की परेशानी बढ़ सकती है। बाढ़ के पानी में बार बार भीगने से कोल्ड कफ हो सकता है।